विशालवाणी

समंदर का जलस्तर ऊपरसे स्थिर दीखता हे मगर गहराई मे एक तूफ़ान चलता रहता हे। कभी कभी इंसान भी दिल में समंदर की गहराई लिए घूम रहा होता है। उसको मिलने वाले शख़्स को सिर्फ ऊपरी शांति और होठो पर मुश्कान दिखती हे मगर दिल में मचे उस तूफ़ान का वो अंदाज़ा भी नहीं लगा पाता। ऐसा हर वो शख़्स अपनी इसी मनोस्थिति के चलते, या तो जग जीत लेता हे या फिर चिरनिंद्रा में चला जाता हे। वो जब ज़िन्दा होता हे तब तक तो उसकी अहमियत लोगो को समज नहीं आती। क्योंकि उन्हें लगता हे वो जो कर रहा हे वो तो उसका कर्त्तव्य हे, इसमें क्या बड़ी बात कर ली? पर वह जब नहीं होता तब लोग अचानक से उसे याद करने लगते है। उसकी हर उस अच्छाई को याद कररोते है जो उन्हें उसके जीते जी कभी दिखी ही नहीं। दोष निकालने वालो की संसारमे कोई कमी नहीं है। हो शके तो किसीके चेहरेकी असली मुस्कान बन जाइए। आजके दौरमें हर इंसान एक जंग लड़ रहा है। क्या पता आपके दो भले शब्द उसे जीनेकी ऊर्जा प्रदान कर दे! हमें कोरोना के साथ एक और लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना हे। कई अपनों का मनोबल टूट रहा हे, हमें साथ मिलकर ये लड़ाई भी जीतनी है। – विशालवाणी